उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥५॥
भावार्थ:- ए अस्लोक में गोसाईंजी जगत जननी जगदंबा माई सीता के बंदना करतानीं, उहाँ की पैर पड़तानी। गोसाईंजी कहतानी की पैदा करेवाली, पालन करेवाली (जीवन के बनाए रखेवाली) संहार करेवाली, दुख-दर्द हरेवाली अउरी सब कल्यान के करेवाली भगवान राम की बल्लभा (पतनी) माई सीता की आगे हम नतमस्तक हो तानी, उहाँ की पैर पड़तानी।
ए इस्लोक में जवन सबसे गवर करेवाली बात बा, उ इ की गोसाईंजी माई सीता के तीरीसक्ती मानतानीं। उहाँ का कहतानीं की माई सीते जगत के बनावेवाली, रछा करेवाली अउरी बिनास करनेवाली हई। सब दुख के दूर करेवाली भी उहे हई। कारन की सीता जी ओ परम ईस्वर के सक्ति हई, उ जगत जननी हई। जब-जब उ परम-पिता अवतार लेनें आ कवनो काम करेने तब-तब माई जगत-जननी के भी उनकी संघे आवे के परेला, उनकरी साथे रहे के परेला काहेंकि भगवान अपनी सक्ति की बिना पूरन नाहीं रहेने।
हाँ तs ए इस्लोक से इ सिध हो जाता की माई सीता साक्षात जगत जननी हई, आदि सक्ति हई चाहें कही सकेनी की ओही जगत जननी आदी सक्ति के रूप हई अउरी भगवान (राम) की लीला में सरीक होखे खातिर सीता की रूप में अवतरित भइली। जवनेगाँ भगवान के कईगो अवतार बा ओहींगा माई जगत जननी के भी कईगो अवतार बा ओही में से एगो रामावतार की संघे सीतावतार रहे। बोलीं सभे माई जगत जननी सीता माता की जय।
जय जय राम, जय हनुमान।
-प्रभाकर पाण्डेय
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ए इस्लोक में जवन सबसे गवर करेवाली बात बा, उ इ की गोसाईंजी माई सीता के तीरीसक्ती मानतानीं। उहाँ का कहतानीं की माई सीते जगत के बनावेवाली, रछा करेवाली अउरी बिनास करनेवाली हई। सब दुख के दूर करेवाली भी उहे हई। कारन की सीता जी ओ परम ईस्वर के सक्ति हई, उ जगत जननी हई। जब-जब उ परम-पिता अवतार लेनें आ कवनो काम करेने तब-तब माई जगत-जननी के भी उनकी संघे आवे के परेला, उनकरी साथे रहे के परेला काहेंकि भगवान अपनी सक्ति की बिना पूरन नाहीं रहेने।
हाँ तs ए इस्लोक से इ सिध हो जाता की माई सीता साक्षात जगत जननी हई, आदि सक्ति हई चाहें कही सकेनी की ओही जगत जननी आदी सक्ति के रूप हई अउरी भगवान (राम) की लीला में सरीक होखे खातिर सीता की रूप में अवतरित भइली। जवनेगाँ भगवान के कईगो अवतार बा ओहींगा माई जगत जननी के भी कईगो अवतार बा ओही में से एगो रामावतार की संघे सीतावतार रहे। बोलीं सभे माई जगत जननी सीता माता की जय।
जय जय राम, जय हनुमान।
-प्रभाकर पाण्डेय
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