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बुधवार, 3 दिसंबर 2008

तुलसी रामायन


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राम-राम पाठक महानुभाव लोगीं। तुलसी रामायन में रउआँ सब के तुलसी के रामायन ही पढ़े के मिली पर जवन ओकर भावार्थ रही उ रही भोजपुरी में। काँहे की हमार इ इच्छा बा की भोजपुरिया जनता जनारदन रामायन के भावार्थ रूपी अमरित के रसासवादन अपनी भासा में करो। ए से हमरा जवन सबसे बड़हन फायदा होई उ इ की हम रामायन के भावार्थ भोजपुरी में लिखी के भोजपुरी के समरीद्ध कइले की साथे-साथे भगवानो की लीला रूपी अमरीत के छक-छक के पीयबी अउरी इ अमरीत भोजपुरिया जनता जनारदन के ओकरी भासा रूपी बरतन में पिए खातिर ढारी-ढारी के देइब। हमरा पूरा बिस्वास बा की ए महाजगी में रउरा सभ के पूरा सहयोग अउरी आसिरबाद हमरा के मिली। समय-समय पर आप सब के बिचार-सुझाव हमके रास्ता देखाई। बहुत-बहुत धनबाद आप सबके।

राउर सेवक-
प्रभाकर गोपालपुरिया

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5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

aapka blog jagat me swagat hai!!!
प्राइमरी का मास्टर

संगीता पुरी ने कहा…

आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

बेनामी ने कहा…

नमस्कार!
राउर काम बडा नीक लागल ह एके चलावत रहीं.कौनो कौनो बाति अपनी पहिली भाषा में ही कहल जा सकेला .

नमस्कार
जय प्रकाश पाठक
देउरिया.

Unknown ने कहा…

नमस्कार!
राउर काम बडा नीक लागल ह

Anil K Shrivastva

Unknown ने कहा…

नमस्कार!
राउर काम बडा नीक लागल ह

Anil K shrivastva