____________________________________________________
यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा
यत्सत्त्वादमृषैव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।
यत्पादप्लवमेकमेव हि भवाम्भोधेस्तितीर्षावतां
वन्देऽहं तमशेषकारणपरं रामाख्यमीशं हरिम्॥६॥
भावार्थ:-
गोसाईंजी कहतानी की पूरा संसार, बरम्हा आदी देवता अउरी असुर जेकरी माया से बसीभूत बा, जेकरी माया में लिपटाइल बा, जेकरी सत्ता में इ लउकेवाला असत संसार ओहींगा सत परतीत होला जवनेंगा रसरी के देखी के साँपे के भरम होला। ए भवसागर से पार जाए के इच्छा रखेवाला के जेकर चरनवे एकमात्र नाई बुझाला, ए सगरी कारन की कारन राम कहायेवाला हम ओ भगवान हरि के बंदना करतानीं, उनकरी पाँव पड़तानी।
गोसाईंजी अपनी ए इस्लोक की माध्यम से जवन सबसे बड़हन बाती उजागर कइलेबानीं उ इ की रामे परमेस्वर हउअन, उहू ए परकिर्ती के करता-धरता हउँअन, सबमिलाजुला के उ भगवान (बिस्नु) के ही रूप हउअन, अवतार हउहन। पूरा इ दृस्य संसार उनकरी माया की कारन ही सत लागेला जबकि वास्तो में इ सत नइखे, क्षनभंगुर बा अउरी भगवाने की माया में खाली हमनियेजान नाहीं अपितु देवता, असुर भी लिपटाइल बा।
गोसाईंजी आगे लिखतानी की ग्यानीलोग ए संसार से, ए नासवान संसार से मुक्ति पावे खातिर सबसे बड़हन साधन भगवान की चरनिए के मानेलालोग मतलब अगर ए भवसागर से पार होखे के बा तs राम की सरन में, भगवान की सरन में जाए के ही परी नाहीं तS घूमीफिरी के एही भवसागर में माया में अझुराइल रहे के परी।
एही से ग्यानीलोग माया के ठगिनी कहेला अउरी सदा ओसे बचलेके उपाय खोजेला:-
माया महा ठगनी हम जानी। (कबीरदास)
दुनिया माया की पीछे भागेला अउरी माया भगवान की पीछे। हमनीजान खातिर इ दुनिया ही माया बा। जेई दिन हमनीजान माया की पीछे भागल छोड़ी के भगवान की पीछे भागे लागल जाई, ओईदिने से हमनीजान के भला हो जाई अउरी आसानी से ए भवसागर से छुटकारा मिली जाई।
जय जय राम, जय हनुमान।
-प्रभाकर पाण्डेय
________________________________________________________
गोसाईंजी अपनी ए इस्लोक की माध्यम से जवन सबसे बड़हन बाती उजागर कइलेबानीं उ इ की रामे परमेस्वर हउअन, उहू ए परकिर्ती के करता-धरता हउँअन, सबमिलाजुला के उ भगवान (बिस्नु) के ही रूप हउअन, अवतार हउहन। पूरा इ दृस्य संसार उनकरी माया की कारन ही सत लागेला जबकि वास्तो में इ सत नइखे, क्षनभंगुर बा अउरी भगवाने की माया में खाली हमनियेजान नाहीं अपितु देवता, असुर भी लिपटाइल बा।
गोसाईंजी आगे लिखतानी की ग्यानीलोग ए संसार से, ए नासवान संसार से मुक्ति पावे खातिर सबसे बड़हन साधन भगवान की चरनिए के मानेलालोग मतलब अगर ए भवसागर से पार होखे के बा तs राम की सरन में, भगवान की सरन में जाए के ही परी नाहीं तS घूमीफिरी के एही भवसागर में माया में अझुराइल रहे के परी।
एही से ग्यानीलोग माया के ठगिनी कहेला अउरी सदा ओसे बचलेके उपाय खोजेला:-
माया महा ठगनी हम जानी। (कबीरदास)
दुनिया माया की पीछे भागेला अउरी माया भगवान की पीछे। हमनीजान खातिर इ दुनिया ही माया बा। जेई दिन हमनीजान माया की पीछे भागल छोड़ी के भगवान की पीछे भागे लागल जाई, ओईदिने से हमनीजान के भला हो जाई अउरी आसानी से ए भवसागर से छुटकारा मिली जाई।
जय जय राम, जय हनुमान।
-प्रभाकर पाण्डेय
________________________________________________________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें