बुधवार, 3 दिसंबर 2008
मंगलाचरण
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प्रथम सोपान : बालकांड
रामायन के पहिला कांड बालकांड हS। ए कांड में भगवान की जनम से लेके उनकरी बिआहे तक के बरनन कइल गइल बा।
श्लोक-
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥
भावार्थ- गोसाईं तुलसीदास जी महराज रामायन की सुरुआते में सबसे पहिले ब्रह्म रूपी अछर, सब अरथ, काव्य में रहेवाला सब रस , छंद की संघे -संघे सदा मंगल करेवाली सरस्वती अउरी गणेश जी के बंदना करताने।
इहवाँ बिचार करेवाली बात इ बा की बिना अछर, अरथ, रस, छंद आदि की बिना कवनो काव्य के रचने ना हो सकेला, मुँहे से बतिये ना निकल सकेला अउरी ए सब के मालिक तS सरसतिये माई अउरी गनेशेजी हउवे लोग। गनेशजी वइसे परथम पूज्यो मानल जाने अउरी हर परकार की बाधा के दूर करेवाला हउअन। ए सब कारन से गोसाईं जी परथम सलोके में इहाँ सब के बंदना कइले बानीं। काँहेकी इहाँ सब की किरिपा की बिना इ एतना बड़हन जगी पूरे ना हो सकेला।
जय जय राम, जय हनुमान।
-प्रभाकर पाण्डेय
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बालकाण्ड (मंगलाचरण)
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