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शनिवार, 9 मार्च 2019

उघरहिं बिमल बिलोचन ही के….( चौपाई)


उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के॥
सूझहिं राम चरित मनि मानिक। गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक॥4

भावार्थ:- ए चउपाई में भी गोस्वामीजी महराज अपनी पिछलहीं बाति के आगे बढ़ावत कहतानीं की उ जइसे ही हिरदय में परवेस करेला, वइसे ही हिरदय के निर्मल नेत्र खुल जाला, (कहले के मतलब ई बा की हिरदय सब विकारन से मुक्त हो जाला), अउर इ संसार रूपी जवन राति बा, अंधकार बा, ओकर जेतना भी दुख-दरद बा सब मिट जाला (कहले के मतलब इ बा की हिरदय की दिव्य होते ही सब दुख-दरद छूमंतर हो जाला, काहें की भगत ए संसार में रहत भी अपना के ए से परे क लेला, ओकरा पता चलि जाला की इ संसार छनबंगुर बा अउर माया बा।), अउर रामचरित रूपी जवन भी कीमती चीज बा, मणि-मानिक बा, उ केतनो छिपल काहें ना होखे, सब परकट हो जाला (कहले के मतलब इ बा की भगवान के रूप, गुण आदि के दरसन होखे लागेला, भगवान की बारे में जवन भी गुप्त बात बा, ओकर भान होखे लागेला।)।

गोसाईंजी महराज कवनो साधारन मनई ना रहनीं। भगवान राम, भगवान शिव अउर हनुमानजी की कीरिपा से उहां के दिव्य ग्यान हो गइल रहे, उहां के दिव्य-दृष्टि खुल गइल रहे।  उहां का रामायन की माध्यम से जवन भी बात कहले बानी अगर ओके वैग्यानिक भा तार्किक आधार पर सार्थक रूप से कसल जाव त उ सत-प्रतिसत खरा उतरी। खैर वइसे ज्ञान-विग्यान, तर्क पर अइले से पहिले ओ महानुभाव के अपनी घमंड के परे राखि के विचार करे के परी। सच में गोसाईंजी रामायन में धर्म-कर्म की साथे-साथे सार्थक जीवन के समेटि देले बानीं। हर चीज के, हर संबंधन के महत्ता प्रतिपादित क देले बानीं। अगर केहू खाली ए रामायन के आधार बना के आपन जीवन जीए त उ सदा सुखी रही अउर ओसे ए संसार के भी कल्यान होई। जय-जय।

---------श्री राम, जय राम, जय-जय राम। जय-जय विघ्नहरण हनुमान-------


                                          हनुमान भक्त प्रभाकर गोपालपुरिया

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