Custom Search

शुक्रवार, 8 मार्च 2019

श्री गुर पद नख मनि गन जोती….( चौपाई)

श्री गुर पद नख मनि गन जोती। सुमिरत दिब्य दृष्टि हियँ होती॥
दलन मोह तम सो सप्रकासू। बड़े भाग उर आवइ जासू॥3
भावार्थ:- ए हु चौपाई में भगवान राम के परम भक्त, महागियानी गोस्वामी तुलसीदासजी महराज सतगुरु की महत्ता के प्रतिपादित करत कह रहल बानीं की गुरुदेव की चररन की नोहन (नखन) से जवन जोती निकल रहल बा, उ प्रकासवान मनि की समान बा, पूरा तरे तेजोमय बा अउर खाली एके इयादी क लेहले मात्र से हिरदया में दिव्य-दृष्टि के समावेस हो जाला, हिरदय दिव्य परकास से भरि जाला। इ परकास अग्यान रूपी अंधेरा के नास करे वाला ह.....इ परकास जेकरी हिरदय में समा जाला, जेकर हिरदय ए परकास से भरि जाला, उ बहुते बड़भागी होला।

गोसाईं जी महराज ए चउपाई में भी परम गुरु, सत गुरु, (आत्मा अउर परमात्मा की बीच के कड़ी) के लौकिक सरीर की महत्ता के प्रतिपादित क रहल बानीं। गोसाईं जी कहतानी की खाली गुरुजी की नोहवने में एतना सक्ति बा की चेला के सही राह पर ले जाए में पूरा तरे समर्थ बा। गोसाईंजी कह रहल बानी की खाली ए नख (नोह) के इयाद क लेहले मात्र से भगत के दिव्य-दृष्टि के अनुभूति हो जाला।

गुरु के महत्ता अपरंपार बा। अब बताईं जवने गुरु की मात्र एगो नोह की स्मरण मात्र से अनपढ़, गँवार लेकिन सच्चा गुरुभक्त भगवान की एतना करीब हो जाला, ओकर दिव्य दृष्टि खुल जाला....अगर ओ गुरु के सच्चा आसिरबाद मिल जाव त केहू भी ए भवसागर से एकदम्मे पार हो जाई अउर ओकरा जीवन के, संसार के, भगवान के पूरा ग्यान हो जाई.....जय-जय। नमन गुरुदेव बजरंग बली हनुमान।


---------श्री राम, जय राम, जय-जय राम। जय-जय विघ्नहरण हनुमान-------

                                          हनुमान भक्त प्रभाकर गोपालपुरिया

कोई टिप्पणी नहीं: