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गुरुवार, 29 जुलाई 2010

सोरठा- जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन.....

 सोरठा-


जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।

करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥1॥

भावार्थ:- जेकर सुमिरन कइले से सबकुछ के सिद्धी होला, जे गणलोगन के मालिक हS अउरी जेकर मुँह श्रेस्ठ हाथी के हS। उ बुधी के रासी (बुधी के सागर) अउरी सुभ गुनन के धाम (सुभ गुनन के भंडार) हमरी पर किरीपा करें, हमरी पर आपन नेह बनवले रहें।


ए सोरठा में गोसाईंजी भगवान गनेस के बंदना करतानी। गनेसजी बुधी अउरी शुभ गुनन के समुंदर हईं मतलब बुधी अउरी सुभ गुन के मालिक हईं, दाता हईं। उहाँ की किरीपे से केहू भी बुधीमान हो सकेला चाहें ओकरी में सुभ गुन आ सकेला। अउरी रामायन जइसन एतना बड़हन ग्रंथ बिना गनेसजी की किरीपा से कइसे पूरा हो सकेला?


बोली सभें गनेश भगवान की जय।।


सोरठा मात्रिक छंद हS मतलब मातरा पर आधारित होला नाकी अछरन पर। इ दोहा की ठीक उलटा होला मतलब एकरी पहिला अउरी तीसरा चरन में एगारह-एगारहगो मातरा होला जबकी दूसरा अउरी चउथा चरन में तेरS-तेरS गो।


जय जय राम, जय हनुमान।

ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः


 मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन।

जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन॥2॥



भावार्थ:- धन्य हो प्रभु। ए सोरठा में गोसाईं जी महराज कहतानी- जेकरी किरिपा से गूँगा (बउक) बक्ता हो जाला,  अउर लंगड़ मनई भी अगम्य (जहाँ जढ़ल बहुते मुस्किल होखे) पहाड़ पर चढ़ि जाला। उ भगवान, किरिपानिधान हमरी पर किरिपा करें काँहे कि उ कलिजुग की सब पापन से मुक्त करेवाला हउअन।

इहाँ हमरा कबीर दास के एगो साखी इयादि आवता-

साईं से सब होत है, बंदे ते कछु नाई,
राई से पर्वत करें, पर्वत राईमान।

कहले के मतलब इ बा की भगवाने की भइले सबकुछ बा अउर सबकुछ उहे करेने। हमनी पर, ए संसार पर उनहीं की किरिपा के आवसकता बा।

जेकरी किरिपा से बउका बोले, लगड़ा फाने पहाड़,
ओ किरिपा निधान के सदा-सदा जय जयकार।।

जय जय राम, जय हनुमान।

ओमममममममममममममममममममममममममममममममममममम

नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।

करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन॥3॥

भावार्थ:- ए सोरठा में गोसाईंजी महराज भगवान बिस्नु से बिनती करतानी, उहाँ का कहतानी कि - जेकरी सरीरे के रंग नीलकमल की रंग के बा, मतलब नीला बरन वा, जेकर आँखि लाल कमल की समान बा। उ छीरसागर में सूत्तेवाला भगवान हमरी हिरदय में बिराजे, बास करें।

जय जय राम, जय हनुमान।

ओमममममममममममममममममममममममममममममममममममम

कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।

जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन॥4॥ 

भावार्थ:- ए सोरठा में तुलसीदासजी महराज भगवान संकर से कहतानी की उहाँ का आपन किरिपा हमरी पर सदा बनवले रहीं- जेकर सरीर कुंद की फुल अउर चंदा मामा की समान बा, जे माई पार्वती की साथे बिहार करेला मतलब माई पार्वती जेकर अर्धांगिनी हई अउर जे करुना, दया के सागर ह, समुन्दर ह। जे सदा आपन नेह गरीबन पर बनवले रहेला, कामदेव के भी विनास करेवाला उ भगवान भोलेनाथ हमरी पर किरिपा करें।

जय जय राम, जय हनुमान।

ओमममममममममममममममममममममममममममममममममममम

भक्त प्रभाकर पाण्डेय "गोपालपुरिया"

क्रमशः...

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